राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू धाम में भव्य खाटू श्याम (KHATU SHYAM) जी का मंदिर बहुत प्राचीन है। यहाँ हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी से ब।रस तक मेला लगता है, जहां लाखों भक्तों की भीड़ जमती है। माना जाता है कि खाटू श्याम (KHATU SHYAM) जी हर भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं। तो आइए जानते हैं कौन हैं खाटू श्याम (KHATU SHYAM) जी…क्या है इनकी कहानी…क्यों कहा जाता है इन्हें हारे के सहारे।
१)कोन हैं खाटू श्याम (KHATU SHYAM)जी-
माना जाता है की खाटू श्याम जी कली युग में श्री कृष्ण के अवतार हैं ।वह भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक हैं जिन्हें हम खाटू श्याम (KHATU SHYAM) के नाम से मानते हैं। उनकी पहचान उनके अतुलनीय बल और धनुर्धर के रूप में जानी जाती थी , क्योंकि वह अपने तुणीर के सिर्फ तीन बाणों से पूरा महाभारत युद्ध ख़त्म कर सकते थे ।
२)क्या है उनकी मान्यता-
मान्यता यह है कि यहां कोई भी जाता है तो खाली हाथ नहीं लौटता है । खाटू श्याम (KHATU SHYAM) जी हर भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं । उन्हें हारे के सहारे कहा जाता है । वह हारने वाले का हमेशा साथ देते हैं। हर महीने ग्यारस को यहां भक्तों की लाखों की संख्या में भीड़ जमती है ।
३)क्यों कहा जाता है उन्हे हारे के सहारे-
उन्हें हारे के सहारे कहा जाता है क्यों की उनके माता ने उन्हें महाभारत के युद्ध के समय बोला था की युद्ध में जो भी हारेगा तुम उसका साथ देना ।
४)जानिए पूरी कहानी-
महाभारत के अनुसार बर्बरीक ने महिसागर संगम में स्थित गुप्त क्षेत्र में नवदुर्गा देवी मां की तपस्या कर उन्हे प्रसन्न किये और दिव्य बल और तीन बाण प्राप्त किए । इसीलिए उन्हे तीन बाण धारी भी कहा जाता है । जिनमे से एक तीर से वह पूरे पृथ्वी का विनाश कर सकते थे ।
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